एक बार की बात है। विजयनगर में राजा कृष्णदेव राय का दरबार लगा था। तभी एक बहुत ही सुन्दर स्त्री दरबार में आयी। उसके हाथ में एक बक्सा था। उसने उस बक्से को खोलकर उसमे से बहुत ही मखमली साडी निकालकर राजा को और सभी दरबारियों को दिखाई। जिसको देखकर सभी हैरान हो गए। इसके बाद वह राजा से बोली महाराज मेरे पास इतनी सुन्दर साडी है
जिसको देखने का नसीब हर किसी के पास नहीं होता और मेरे पास ऐसे कारीगर है जो अपनी गुप्त कला से ऐसी साडी का निर्माण करते है। आप अगर राज कोष से कुछ धन राशि देंगे तो हम ऐसी साडी का निर्माण करेंगे। राजा ने उस महिला की बात मान ली और उसको राज कोष से धन दिया और 1 साल का समय साडी को तैयार करने के लिए दिया। वह महिला अपने कारीगरों के साथ मेहमान कक्ष में रहकर उस साडी का निर्माण करने लगी ।
इस दौरान वह पुरे शाही ख़र्चे में रह रहे थे। देखते देखते 1 वर्ष बीत गया। राजा ने अपने मंत्रियो को साडी को देखने के लिए भेजा। वहाँ जाकर मंत्रियों ने देखा की दो कारीगर बिना किसी धागे के कुछ बुन रहे है। यह देखकर वह हैरान हो गए।
इसके बाद महिला ने मंत्रियो को अपने हाथ में कुछ दिखाया और कहा की आप इस साडी को देख सकते है। मंत्रियो ने महिला को कहा की उनको साड़ी दिखाई नहीं दे रही है। इसके बाद महिला ने कहा की यह साडी केवल उन लोगों को दिखाई देती है।
जो मन के साफ़ होते है और जिसने पाप नहीं किया होता। मंत्री यह सुनकर भोचक्के रह गए और साड़ी दिखने का बहाना बना कर वहाँ से चले गए। वह राजा के पास आकर बोले की साड़ी बहुत ही सुन्दर है।
राजा ने महिला को साडी लेकर दरबार में आने का आदेश दिया। महिला अपने कारीगरों के साथ हाथ में एक बक्सा लेकर आयी। बक्से को खोलकर वह दिखा रही थी जो की खाली था। वह बोली देखिए कितनी अच्छी साडी है।
सभी दरबार में बैठे लोग और राजा हैरान थे क्योकि उनको कोई साडी नज़र नहीं आ रही थी। तेनाली राम राजा के पास आकर कान में बोला यह महिला सबको मुर्ख बना रही है।
तेनाली ने कहा की यह साडी हमको दिखाई नहीं दे रही। महिला बोली यह साडी केवल उन लोगो को दिखाई देती है। जो मन के साफ़ होते है और जिसने पाप नहीं किया होता।
इसके बाद तेनाली राम बोले राजा यह चाहते है की तुम यह साड़ी पहन कर दरबार के सभी लोगों को दिखाओ। यह सुनकर महिला राजा से माफ़ी मांगने लगी क्योंकि उसका झूठ पकड़ा गया था।
पहले राजा ने उनको कारावास में डालने की सजा सुनाई लेकिन महिला की बहुत विनती करने पर उनको छोड़ दिया गया। राजा ने तेनाली राम की चतुराई की प्रशंशा की।