एक बार रमन नाम का एक लड़का था। वह बहुत ग़ुस्सैल था। जो छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता था। जब भी वह गुस्सा होता तो अपने आसपास की चीजों को तोड़ने लग जाता था। उसकी इस आदत से सभी दुखी थे। एक दिन उसके पिता ने रमन को बुलाया।
उन्होंने रमन को एक बॉक्स दिया। वह बॉक्स किलों से भरा हुआ था। उन्होंने रमन को कहा कि अब तुम्हें जब भी गुस्सा आए तब तुम इसमें से 1 कील लेकर पीछे की दीवार पर घुसा देना। अब रमन ऐसा ही करता उसको जब भी गुस्सा आता तो वह एक कील को लेकर उस सुंदर दीवार में घुसा देता था।
कुछ समय बाद वह दीवार पूरी कीलो से भरने लगी। अब रमन थोड़ा गुस्सा भी कम करने लगा। इस तरह 1 दिन ऐसा आया जिस दिन रमन ने कोई गुस्सा नहीं किया। उसने यह बात अपने पिता को बताई। उसके पिता ने उसको दूसरा काम दिया और कहा अब तुम जिस दिन कोई गुस्सा ना करो।
उस दिन उस दीवार पर जाकर एक कील को निकाल देना। अब रमन ऐसा ही करने लगा। इस तरह कुछ ही दिनों में पूरी दीवार कीलो से खाली हो गई। वह इसके बाद दोबारा अपने पिता के पास गया। उसके पिता रमन को उस दीवार के पास लेकर गए।
उन्होंने कहा कि यह दीवार हमारी जिंदगी की तरह है। हम जब भी गुस्सा करते हैं। तब हो सकता है कुछ समय बाद लोग हमें माफ कर दे। लेकिन उससे जो नुकसान हुआ है। वह हमेशा रहते हैं। इसलिए हमें कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए। यह बात अब रमन को अच्छे से समझ आ गई थी। और अब वह कभी भी ग़ुस्सा नहीं करता। जिससे सभी लोग उसे पसंद करने लगे।
Moral of the story:
हमें ग़ुस्सा करने से बचना चाहिए।