एक बार एक किसान अपनी पत्नी और दूध पीते बच्चे के साथ एक गांव में रहता था। वह खेत में काम करके अपना गुजारा करता था। एक दिन उसे खेत में एक नेवले का बच्चा मिला। जिसे वह अपने साथ घर लेकर आ गया। नेवले को देखकर शुरू में उसकी पत्नी डर गयी।

लेकिन अपने पति के समझाने पर उसने नेवले को घर में रख लिया। कुछ समय बाद नेवले का बच्चा भी बड़ा हो गया। नेवला और किसान का बच्चा आपस में खेलते थे। जब बच्चा पालने में सोता तो नेवला भी पास में बैठ कर उसे देखा करता था।

बहुत बार किसान की पत्नी बच्चे और नेवले को घर में छोड़कर बाजार चली जाती थी। एक दिन इसी तरह किसान की पत्नी बाजार गयी हुई थी और घर में बच्चा और नेवला अकेले थे। कुछ समय बाद बच्चा पालने में सो गया। नेवला वही बैठा था। उसने देखा एक साँप खिड़की से निकल कर आ गया।

जैसे ही वह बच्चे की तरफ बढ़ा उसने साँप पर हमला करके उसे मार दिया। जिससे नेवले के मुँह में खून लग गया। कुछ समय बाद किसान की पत्नी लौटी तो उसने दरवाजे पर नेवले को देखा जिसके मुँह में खून लगा हुआ था। उसने बिना कुछ सोचे नेवले को मार कर भगा दिया।

उसने सोचा उसने बच्चे को मार दिया। लेकिन जब वह अंदर कमरे में गयी तो उसे मारा हुआ साँप नज़र आया। अब उसको सारी बात समझ आयी। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।

Moral of the story:

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें बिना पूरी बात जाने किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए।