एक बार की बात है राजा अकबर सो कर उठे थे। उन्हें बहुत तेज प्यास लगी थी। जिसके कारण उन्हें अपने सेवकों को पानी के लिए आवाज लगाई लेकिन कोई भी सेवक उनके आसपास नहीं था। एक साफ सफाई करने वाला व्यक्ति राजा अकबर की आवाज सुनकर पानी लेकर आया।
राजा को बहुत प्यास लगी थी इसलिए राजा ने उस सफाई करने वाले व्यक्ति के हाथ से पानी लेकर पी लिया। दोपहर के समय राजा बहुत बीमार हो गए। उनको देखने के लिए राज वैद्य और राज पंडित भी आए।
राज वैद्य की दवाई लेने के बावजूद भी राजा ठीक नहीं हुए तो राज पंडित ने राजा को कहा कि आप पर किसी मनहूस व्यक्ति का परछावा पड़ गया है। राजा को यह बात सुनकर ध्यान आया कि उन्होंने सुबह सफाई करने वाले व्यक्ति के हाथों से पानी लेकर पी लिया था।
उन्होंने सोचा यह जरूर उसी का परिणाम है। राजा ने उस व्यक्ति को बंदी बनाकर मृत्युदंड की सजा देने को कहा। जब बीरबल को राजा के स्वास्थ्य के बारे में पता लगा तो वह भी उनका हालचाल जानने के लिए अकबर के पास गए।
वहां जाकर बीरबल को सारी बात का पता लगा कि राजा ने सफाई करने वाले व्यक्ति को मनहूस कहकर मृत्यु दंड की सजा दी है। बीरबल कारावास में उसी व्यक्ति से मिलने गए और उस व्यक्ति को सांत्वना दी।
बीरबल इसके बाद अकबर के पास दोबारा गए और राजा अकबर से कहां की मैं आपको इस राज्य में सबसे मनहूस व्यक्ति के बारे में बताऊंगा जो उस सफाई करने वाले व्यक्ति से भी मनहूस है तो आप सफाई करने वाले व्यक्ति को छोड़ देंगे।
राजा ने इसके लिए हामी भरी। बीरबल ने कहा कि राजा आप स्वयं उस व्यक्ति से ज्यादा मनहूस है क्योंकि उस व्यक्ति के हाथ से पानी लेकर पिने से यदि आप बीमार पड़ गए तो उस व्यक्ति को तो सुबह-सुबह आपसे मिलने से मृत्युदंड की सजा मिल गयी।
इससे उस व्यक्ति के लिए आप ज्यादा मनहूस हुए। बीरबल ने हॅसते हुए कहा की लेकिन आप अपने आप को मृत्युदंड की सजा मत देना। यह कहकर बीरबल हंसने लगा। अब अकबर को भी अपनी गलती का एहसास हो गया था उन्होंने उस सफाई करने वाले व्यक्ति को छोड़ने का हुकुम दिया। इस तरह बीरबल की चतुराई के कारण उस व्यक्ति की जान बच गई।