एक बार की बात है एक जंगल में बकबक नाम का तोता रहता था। वह बहुत ही झूठा था। वह जंगल के दूसरी पक्षियों और जानवरों  के सामने झूठ बोलकर अपनी बड़ाई करता था। एक दिन एक पेड़ पर एक चिड़िया बैठी थी।

वह चिड़िया के पास गया और बोला की वह गांव के जमींदार के पास गया था। वहां पर उसने बहुत सारी अच्छी-अच्छी मिठाई और पकवान खाएं। वह कभी जंगल के जानवरों के पास जाकर कहता कि मैं चील से भी ऊंचा उड़ सकता हूं और मैंने बहुत से देशों की यात्रा की है।

उसकी इन सभी हरकतों के कारण सारे जंगल को पता लग चुका था कि वह बहुत झूठ बोलता है। एक दिन जंगल में एक बहुत ही सुंदर कबूतर आया। सभी पक्षी उसे देखने के लिए आये। बकबक तोता भी उससे मिलने आया। तोते को देखकर कबूतर बोला तुम बकबक हो ना।

यह सुनकर तोता बोला हा मै ही बकबक तोता हूँ। इसके बाद वह अपनी तारीफ करने लगा की देखा बाहर के लोग भी मुझे जानते है। मै बहुत अमीर हूँ। मै बहुत अच्छा खाना खाता हूँ। मेरे पास बहुत से हीरे जवाहरात है। यह सुनकर कबूतर बोला मै शाही नौकर हूँ।

मै तो तुम्हे राजा के दरबार में अच्छे दावत के लिए आमंत्रित करने आया था। लेकिन तुम तो पहले से ही अच्छे से रह रहे हो और अच्छा खाते हो तो मै चलता हूँ। तोते ने जब यह सुना तो कहने लगा की मै तो बस अपनी बड़ाई कर रहा था। इसके बाद कबूतर ने तोते की एक न सुनी और चला गया। यह देखकर जंगल के सभी पक्षी और जानवर हॅसने लगे।

Moral of the story:

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।