अचलभ्राता भगवान्‌ महावीर के नौवें गणधर थे। ये कौशांबी नगरी के निवासी वसु ब्राह्मण के पुत्र थे। इनकी माता का नाम नन्दा था। ये भी सोमिल के यज्ञ में गये थे। "पुण्य और पाप" के सम्बन्ध में अपनी गुप्त शंका का समाधान भगवान्‌ महावीर से पाकर अपने ३०० शिष्यों के साथ इन्होंने संयम स्वीकार किया। इन्होंने ४७ वर्ष की आयु में दीक्षा ली तथा ५६ वर्ष की आयु में केवलज्ञान प्राप्त कर ७२ वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया।