अचलभ्राता भगवान् महावीर के नौवें गणधर थे। ये कौशांबी नगरी के निवासी वसु ब्राह्मण के पुत्र थे। इनकी माता का नाम नन्दा था। ये भी सोमिल के यज्ञ में गये थे। "पुण्य और पाप" के सम्बन्ध में अपनी गुप्त शंका का समाधान भगवान् महावीर से पाकर अपने ३०० शिष्यों के साथ इन्होंने संयम स्वीकार किया। इन्होंने ४७ वर्ष की आयु में दीक्षा ली तथा ५६ वर्ष की आयु में केवलज्ञान प्राप्त कर ७२ वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया।

अचलभ्राता गणधर
- अंजना सती
- पीठ-महापीठ मुनि की कथा
- अतिस्नानी त्रिदण्डी की कथा
- अंजन चोर की कथा
- अजित सेन
- बारहवें चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त
- पद्मरथ राजा
- दृढसूर्य
- धनदत्त राजा की कथा
- परिग्रह से डरे हुए दो भाइयों की कथा
- महाबळ नामना राजकुमारनुं दृष्टांत
- अकम्पित गणधर
- अग्निभूति गणधर
- अचल बलदेव
- अचलभ्राता गणधर
- अजितनाथ भगवान्
- पृथ्वीचंद्र अने गुणसागरनुं दृष्टांत
- अर्जुन माली
- कात्यायनगोत्रीय स्कन्दक मुनि
- 59. अगड़दत्त मुनि
- 60. अट्टणमल्ल
- अंतूकारी भट्टा
- अभग्गसेन चोर
- अभयकुमार
- अभीचिकुमार
- आर्यरक्षित