लेश्याएं कितनी हैं

 

भगवन्‌ ! लेश्याएं कितनी हैं? छह–कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोपलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या , शुक्ललेश्या

 

नैरयिकों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? गौतम ! तीन–कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या । भगवन्‌ ! तिर्यंचयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएं हैं ? गौतम ! छह, कृष्णा यावत्‌ शुक्ललेश्या । एकेन्द्रिय जीवों में चार लेश्याएं होती हैं । कृष्णलेश्या से तेजोलेश्या तक । पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और वनस्पतिकायिक में भी चार लेश्याएं हैं । तेजस्कायिक, वायुकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों में नैरयिकों के समान जानना ।

 

भगवन्‌ ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? गौतम ! छह, कृष्ण यावत्‌ शुक्ल-लेश्या । सम्मूर्च्छिम-पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक में नारकों के समान समझना । गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचों में छह लेश्याएं होती हैं–कृष्ण यावत्‌ शुक्ललेश्या । गर्भज तिर्यंचयोनिक स्त्रियों में ये ही छह लेश्याएं होती हैं । मनुष्यों में छह लेश्याएं होती हैं । सम्मूर्च्छिम मनुष्यों में नारकों के समान जानना । गर्भज मनुष्यों एवं मानुषी स्त्री में छह लेश्याएं होती हैं ।

 

भगवन्‌ ! देवों में कितनी लेश्याएं होती हैं ? छह । देवियों में चार लेश्याएं होती हैं–कृष्णलेश्या यावत्‌ तेजो-लेश्या । इसी प्रकार भवनवासी और वाणव्यंतर देव-देवी में जानना । ज्योतिष्क देवों और देवी में एकमात्र तेजो-लेश्या होती है । वैमानिक देवों में तीन लेश्याएं हैं–तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या । वैमानिक देवियों में एकमात्र तेजोलेश्या होती है ।

 

भगवन्‌ ! इन सलेश्य, कृष्णलेश्य यावत्‌ शुक्ललेश्य और अलेश्य जीवों में कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव शुक्ललेश्या वाले हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, उनसे अलेश्य अनन्तगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले अनन्तगुणे हैं, उनसे नील-लेश्या वाले विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं और सलेश्य उनसे भी विशेषाधिक हैं ।

 

भगवन्‌ ! कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले नारकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े कृष्णलेश्यावाले नारक हैं, उनसे असंख्यातगुणे नीललेश्यावाले हैं और उनसे भी असंख्यातगुणे कापोतलेश्या वाले हैं ।

 

भगवन्‌ ! इन कृष्णलेश्यावाले से लेकर शुक्ललेश्यावाले देवों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्यी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी देव विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी देव विशेषाधिक हैं और उनसे भी तेजोलेश्यी देव संख्यातगुणे हैं । इन देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़ी कापोतलेश्यी देवियाँ हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं और उनसे तेजोलेश्यी संख्यातगुणी हैं । भगवन्‌ ! इन देवों और देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण-लेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यी देवियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण-लेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्यी देव संख्यातगुणे हैं, उनसे भी तेजोलेश्यी देवियाँ संख्यातगुणी हैं ।

 

पहली और दूसरी नरकपृथ्वी में कापोतलेश्या है, तीसरी नरकपृथ्वी में मिश्र लेश्याएं हैं, चौथी में नील लेश्या है, पाँचवी में मिश्र लेश्याएं हैं, छठी में कृष्ण लेश्या और सातवी में परम कृष्ण लेश्या होती है।