भगवन् ! द्वीन्द्रिय की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट बारह वर्ष । अपर्याप्त द्वीन्द्रिय स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है । पर्याप्त द्वीन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम बारह वर्ष है ।
त्रीन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट उनचास रात्रि दिन है । अपर्याप्त त्रीन्द्रिय की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है । पर्याप्तक त्रीन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम उनचार रात्रि-दिन है ।
चतुरिन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट स्थिति छह मास है । अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है । पर्याप्त चतुरिन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम छह मास है ।