हे जम्बू ! चम्पा नगरी थी। पूर्णभद्र उद्यान था। पूर्णभद्र यक्ष का यक्षायतन था। राजा दत्त था और रानी रक्तवती थी। महाचन्द्र राजकुमार था। उसका श्रीकान्ता प्रमुख ५०० श्रेष्ठ राजकन्याओं के साथ पाणिग्रहण हुआ। भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। महाचन्द्र ने श्रावकों के बारह व्रतों को ग्रहण किया। पूर्वभव पृच्छा – हे गौतम! चिकित्सिका नगरी थी। महाराजा जितशत्रु थे। धर्मवीर्य अनगार को निर्दोष आहार पानी से प्रतिलम्भित किया, फलतः मनुष्य – आयुष्य को बान्धकर यहाँ उत्पन्न हुआ। यावत् श्रामण्य – धर्म का यथाविधि अनुष्ठान करके महाचन्द्र मुनि बन्धे हुए कर्मों का समूल क्षय कर परमपद को प्राप्त हुए।