हे जम्बू ! सौगन्धिका नगरी थी। नीलाशोक उद्यान था। सुकाल यक्ष का यक्षायतन था। अप्रतिहत राजा थे। सुकृष्णा उनकी भार्या थी। पुत्र का नाम महाचन्द्रकुमार था। अर्हद्दता नाम की भार्या थी। जिनदास नाम का पुत्र था। भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। जिनदास ने द्वादशविध गृहस्थ धर्म स्वीकार किया। पूर्वभव – हे गौतम ! माध्यमिका नगरी थी। महाराजा मेघरथ थे। सुधर्मा अनगार को महाराजा मेघरथ ने भावपूर्वक निर्दोष आहार दान दिया, उससे मनुष्य भव के आयुष्य का बन्ध किया और यहाँ पर जन्म लेकर यावत्‌ इसी जन्म में सिद्ध हुआ।